मेरा यह लेख मेरे ब्लॉग के माध्यम से देश हित में समर्पित है ।

तो क्या हम उसके हक की बात नहीं कर सकते हैं ! जिसकी वजह से आज पूरा भारत जीवित है ।
जी हाँ स्मरण रहे कि आज समाज की सुप्तावस्था इस स्तर पर जा चुकी है की पढे- लिखे अपने को जीवित और अनपढ अपने को मृत समझने लगा है जबकि ये मत है सच्चाई नही | ऐसी शिक्षा प्रणाली का समष्टिगत विस्तार अंग्रेजो ने इसीलिए किया ताकि हम वर्षो तक गुलाम बने रहें |
संस्कृति, विज्ञान, कला व दर्शन को लेकर युवाओ के बीच वैचारिक जागरण करने के साथ ही देश के अन्य युवाओ को भी जागरुक कर रहे है | आप अपने विचार लिखकर हमसे सवाल कर सकते है | सवाल करने से पहले होम पेज को शुरू से अंत तक अवश्य पढिये |
(1) आपका सवाल देश और समाज के हित मे
होना चाहिए |
(2) हिन्दी पढने- लिखने वालो से हम विशेष रूप
से देशहित में सुझाव की अपेक्षा करते है |
(3) हमारे पृष्ठो पर दी गई सामग्री को देश हित में
उपयोग करने के लिए एक बार सुचित जरुर कीजिए |
(4) प्रान्त के प्रभारियों से मिलने के लिये या सूचित
करने के हेतु सम्पर्क पृष्ठ पर जायें |
(5) यह ब्लॉग या इस ब्लॉग से जुड़े सभी लोगो को याद रहे
कि आरटीआई विद फार्मर्स कोई कम्पनी नही है इसके
सदस्य नौकर नही है | हम किसी को नौकरी
पर नही रखते है न ही पैसो की अपेक्षा करते है,
परन्तु हम आपके दान का स्वागत करते है |
मुद्रा के विषय को लेकर मेरे साथियों अर्थशास्त्र में रजत-मान, स्वर्ण-मान, स्वर्ण-विनिमय मान, के बारे में तो पढ़ा और सुना है पर आज कागजी मुद्रा पर इतना विश्वास करना ... भला कितनी समझदारी है । यह कागज-मान क्या बला है ? साथियों मैं तो बेशक जानना चाहता हूं पर क्या आप लोग भी ... यही सोच रहे हैं ! भाई मैं तो बहुत बेसब्री से नहीं बल्कि इस कागज मान व्यवस्था को समझने के लिए बहुत ही शांत वातावरण की तलाश कर रहा हूं पर यहां तो शांत वातावरण को छोड़िए शांति पूर्वक दो वक्त की रोटी ही मिलना मुश्किल है ।
यह स्थिति क्रमशः बढ़त की ओर है और शायद आने वाले समय में यह भयंकर अराजकता का रूप लेते हुए संघार की ओर बढ़ रहा है तो कहने का तात्पर्य यह है की इसका अंत कहां पर है और कब है यह बताने वाला अब तक कोई मानव नहीं मिला । कहीं ऐसा तो नहीं आजादी का विलोम शब्द गुलामी । अर्थात इस युग का शुरुआती दौर आजादी, यानी सिर, और गुलामी अंतिम छोर यानी पैर तो नहीं है ।
ऊपर लिखा हुआ शब्द सिर और पैर का अर्थ आसान शब्दों में समझा जाए तो वह यह है की इस मृत्यु लोक में जिस चीज का निर्माण हुआ है उसका अंत निश्चित है ठीक उसी प्रकार यहां पर दो पहियों की गाड़ियों पर पूरा विश्व आधारित है और वह है यह पृथ्वी और पृथ्वी पर रहने वाले जीव जंतु प्राणी जिनके लिए ईश्वर ने आवश्यकता पूर्ति हेतु वो सारी चीजें उपलब्ध कराया जिससे उनकी समय-समय पर आवश्यकता अनुसार पूर्ति होती रहे उन्होंने हमारे लिए दिन और रात बनाए तो दिन और रात कोई अलग अलग चीज नहीं है दिन सिर है और रात उसका पैर है अर्थात रात ना होती तो दिन शब्द का कोई अस्तित्व ही नहीं रह जाएगा ठीक उसी प्रकार काला रंग न होता तो सफेद का कोई महत्व ना होता इसमें अब हमें यह देखना है कि हमारे इर्द-गिर्द दिखने वाली सभी चीजें हमारा अपना हिस्सा है कहीं ना कहीं हम एक दूसरे से जुड़े हुए हैं कोई अलग नहीं है इसको वैज्ञानिकों ने अपनी भाषा में प्लस और माइनस के रूप में समझा है इन्होंने नेगेटिव व पॉजिटिव के आधार पर चीजों को समझा है और समझने की पद्धति पर चल रहे हैं लेकिन अलग अलग चीजों को अलग अलग करके समझना ठीक है लेकिन नेगेटिव को बुरा कहना और पॉजिटिव को अच्छा कहना यह ठीक ना होगा । अगर हम माइनस को नहीं समझते हैं और सिर्फ प्लस को समझेंगे या हम मात्र प्लस को समझें और माइनस पर ध्यान ना दें तो हम पूरा समझ नहीं सकेंगे पूरा का तात्पर्य संपूर्ण से है कि अच्छा और बुरा इन दोनों को समझने के लिए हमें बुरे को भी समझना होगा तभी हम यह समझ पाएंगे कि अच्छा क्या होता है ।
वर्तमान में जहां देखो वहां अंधी दौर जारी है, इसमें मनुष्य भूल जाता है कि वह इस धरा पर सभी प्राणियों में से सबसे श्रेष्ठ प्राणी माना जाता है । वह इस धरा पर भौतिक संपत्ति नहीं, बल्कि समाज के हित में जीने के लिए आया है, आध्यात्मिक शक्ति जोड़ने आया है । मनुष्य कितनी अधिक मात्रा में भौतिक संपदा क्यों ना जोड़ ले वह उसके साथ नहीं जाती है। वह खाली हाथ यहां आया था और खाली हाथ ही विदा हो जाएगा ।
इसी तरह हमें पूरी दुनिया को समझने के लिए बहुत अधिक परेशान होने की आवश्यकता नहीं है पूरी दुनिया को समझने के लिए मात्र एक को समझना आवश्यक है यानी स्वयं को पहचानना आवश्यक है जब हम स्वयं को नहीं पहचान पाएंगे तो दूसरे को कैसे पहचान सकेंगे । इसी तरह एक शराब पीने वाला व्यक्ति अगर किसी व्यक्ति से यह कहे कि महोदय यह पीना गलत कार्य है यह ठीक नहीं है या यह नुकसान पहुंचा सकती है । वहीं दूसरी तरफ एक साधारण व्यक्ति जिसने कभी शराब न पिया हो, नशा ना किया हो और वह किसी को ठीक तरह से नहीं समझा सकेगा कि शराब पीना वाकई बहुत नुकसानदायक है । अब यहां पर शब्दों पर ध्यान देने से यह साबित हो रहा है कि शराब नुकसान पहुंचा सकती है या शराब नुकसान पहुंचाती है इन दोनों वाक्यों में जमीन और आसमान का अंतर दिखाई दे रहा है क्योंकि एक व्यक्ति जिसको नशे का अनुभव नहीं है वह किसी अन्य व्यक्ति को अर्थपूर्ण सलाह नहीं दे सकता वहीं दूसरी तरफ जिसे इसका अनुभव है या जिसने नशे का अनुभव किया है वह अगर किसी अन्य व्यक्ति को सलाह देगा तो वह अर्थ-पूर्ण होना चाहिए क्योंकि वही उसके नुकसान के बारे में अच्छी तरह समझा सकेगा परंतु यहां ध्यान देने वाली बात यह है की उसकी बात को लोग हल्के में लेते हैं क्योंकि वह नशेबाज है ।
चीजों को यहाँ के प्राणियों को उसके वास्तविक होने की उसकी वास्तविकता या उसका चाल चलन उसके कार्य उसकी गुणवत्ता अर्थात उसके वास्तविक स्वरूप को पहचानना, जानना एक मनुष्य की कला होनी चाहिए । किसी वस्तु जीव जंतु या धरती पर प्रकृति-प्रदत्त चीजों को या जो कुछ भी उसके द्वारा बनाया गया है । पदार्थ के उसके वास्तविक रूप में देखना हमारा कर्म होना चाहिए और इसके साथ ही अपने से कम उम्र के लोगों को भी यह समझाना होगा बताना होगा कि " चीजों को उनके वास्तविक रूप में देखना मनुष्य की एक कला है " तो साथियों किसी चीज या किसी भी चीज का कूट-करण करना या उसकी वास्तविकता को छिपाना यह झूठ, फरेब, दूसरों से घृणा करना, लूट-पाट, डकैती बलात्कार हत्या या आज के आधुनिक युग में हो रहे आपराधिक कार्यों का जो सिर है या कह सकते हैं सभी बुराईयों की पहली करने वाली जो पहली सीढ़ी है वह है "लालच" इसीलिए बड़े बुजुर्गों ने कहा है कि " लालच बुरी बला है " क्या हम लालची बचपन से ही पैदा होते हैं या सिखाए जाते हैं अब इस लालच का मूल कारण क्या है यह समझने के लिए हमें इसके जड़ में जाना होगा तभी हम जान सकेंगे संपूर्ण क्या है ।
आखिर जब हम यहां आए थे तो कुछ भी तो लेकर नहीं आए थे तो फिर किसी चीज के खोने का क्या डर और लालच किस बात का जब ईश्वर ने हमें जिंदा रहने के लिए वह सारी चीजें उपलब्ध कराई हैं तो फिर परेशानी किस चीज की है लड़ाई झगड़ा किस बात का आखिर हम किस काल खंड में जी रहे हैं या इस युग के शुरुआती छोर से लेकर अंतिम छोर के बीच में कहां पर खड़े हैं यह समझना आवश्यक है ।
अशर्फी सिक्का रुपया यह सब क्या है क्या इसे ईश्वर ने बनाया है या हम आप ने बनाया है
11/9/2019